.......🔱 *ऊँ नमः शिवाय* 🔱.......
*श्रीखण्ड़ कैलाश महादेव यात्रा-2017*
*जिला कुल्लू*
*हिमाचल प्रदेश*
पंच कैलाश यात्रा में सबसे कठिन यात्रा *श्रीखण्ड़ कैलाश महादेव* का स्थान सबसे ऊपर हैं। इसके बाद *श्री किन्नर कैलाश महादेव* जी हैं। दोनो ही यात्राएं वहाँ की सेवा समिति द्धारा ही संम्प्पण करवाई जाती हैं। जो बहुत थोड़े समय के लिए होती हैं।इनके समय-सारणी के बाद श्रृद्धालुओं को अपने प्रंबधन द्धारा ही तय करनी पड़ती हैं। उसमें आपको सेवा समिति और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती। अगर आप में भोलेनाथ के प्रति सच्ची आस्था, निष्ठा और मन में लगन हैं तब तो आप बडे आराम से यह यात्रा पूर्ण कर सकते हैं। अगर आप केवल घुमने-फिरने के इरादे से यहाँ पर आ रहे हैं तो कृपा कहीं और जगह चले जाए। क्योंकि श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊचाई पर चढ़ना होता है और वहाँ बिगड़ता-संभलता मौसम का मिजाज और ऊपर से ऑक्सीजन की कमी भी खलती हैं।
*⛰श्रीखंड महादेव*
श्रीखण्ड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
*क्या है पौराणिक महत्व-* श्रीखंड की पौराणिकता मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भीअपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली। इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती कारूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
*विभिन्न स्थानों से दूरी*
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर – 130 किमी
रामपुर से निरमंड – 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल – 17 किलोमीटर
बागीपुल से जाओं – करीब 12 किलोमीटर हैं।
*कैसे पहुंचे श्रीखंड-*
आप रामपुर बुशहर(शिमला से 130 कि० मी०) से 35 कि० मी० की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते है श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावोंमें माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। बागीपुल से 7 कि० मी० दूरी पर जाँव गाँव तक गाड़ी से पंहुचा जा सकता है जाँव से आगे की 25 किलोमीटर की सीधी चढाई पैदल यात्रा शुरू होती है।
यात्रा के तीन पड़ाव-
सिंहगाड़
थाचड़ू
और भीम डवार है
जाओं से सिंहगाड़ 3 कि० मी० सिंहगाड़ से थाचड़ू 8 कि० मी० और थाचड़ू से भीम डवार 9 कि० मी० की दूरी पर है यात्रा के तीनो पडावो मे श्री खंड सेवा दल की ओर से यात्रियों की सेवा मे लंगर दिन रात चलाया जाता है भीम डवार से श्री खण्ड कैलाश दर्शन 7 कि० मी० की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचड़ू वापिस आना अनिवार्य होता है
यात्रा मे सिंहगाड, थाचरू, कालीकुंड, भीमडवारी, पार्वती बाग, नयनसरोवर व भीमबही आदि स्थान आते हैं। सिंहगाड यात्रा का बेस कैंप है। जहां से नाम दर्ज करने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। श्रीखंडसेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए हर पडाव पर लंगर की व्यवस्था होती है।
*|| हर हर महादेव ||*
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