शिवलिंग पर सफेद चंदन या भस्म से लगाई गई तीन आड़ी रेखाएं भगवान शिव का श्रृंगार है जिसे त्रिपुण्ड कहते हैं ।
एक बार सनत्कुमारों ने भगवान कालाग्निरुद्र से त्रिपुण्ड का रहस्य पूछा । भगवान कालाग्निरुद्र बोले—
‘पहली रेखा गार्हपत्य अग्नि, अकार, रजोगुण, भूलोक, देहात्मा, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद, प्रात:कालीन हवन और महेश्वर देवता का स्वरूप है।
दूसरी रेखा दक्षिणाग्नि, उकार, सत्वगुण, अन्तरिक्ष, अन्तरात्मा, इच्छाशक्ति, यजुर्वेद, मध्याह्न के हवन और सदाशिव देवता का स्वरूप है ।
तीसरी रेखा आहवनीय अग्नि, मकार, तमोगुण, स्वर्गलोक, परमात्मा, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तीसरे हवन और महादेव देवता का स्वरूप है।’
इस प्रकार जो कोई भी मनुष्य भस्म का त्रिपुण्ड करता है उसे सब तीर्थों में स्नान का फल मिल जाता है । वह सभी रुद्र-मन्त्रों को जपने काअधिकारी होता है । वह सब भोगों को भोगता है और मृत्यु के बाद शिव-सायुज्य मुक्ति प्राप्त करता है ।