शिवलिंग पर रची तीन रेखाएँ क्या बताती हैं ?




शिवलिंग पर सफेद चंदन या भस्म से लगाई गई तीन आड़ी रेखाएं भगवान शिव का श्रृंगार है जिसे त्रिपुण्ड कहते हैं 

एक बार सनत्कुमारों ने भगवान कालाग्निरुद्र से त्रिपुण्ड का रहस्य पूछा  भगवान कालाग्निरुद्र बोले

पहली रेखा गार्हपत्य अग्निअकाररजोगुणभूलोकदेहात्माक्रियाशक्तिऋग्वेदप्रात:कालीन हवन और महेश्वर देवता का स्वरूप है

दूसरी रेखा दक्षिणाग्निउकारसत्वगुणअन्तरिक्षअन्तरात्माइच्छाशक्तियजुर्वेदमध्याह्न के हवन और सदाशिव देवता का स्वरूप है 

तीसरी रेखा आहवनीय अग्निमकारतमोगुणस्वर्गलोकपरमात्माज्ञानशक्तिसामवेदतीसरे हवन और महादेव देवता का स्वरूप है

इस प्रकार जो कोई भी मनुष्य भस्म का त्रिपुण्ड करता है उसे सब तीर्थों में स्नान का फल मिल जाता है  वह सभी रुद्र-मन्त्रों को जपने काअधिकारी होता है  वह सब भोगों को भोगता है और मृत्यु के बाद शिव-सायुज्य मुक्ति प्राप्त करता है 

Vijay Mehak Chad Uchiyan te Niviyan Ghatiyan(चढ़ ऊचीया नीवीयां घाटीया) Hindi Lyrics

Vijay Mehak Amritsar Bhajan
Chad Uchiyan te Niviyan Ghatiyan(चढ़ ऊचीया नीवीयां घाटीया)





चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया,
असीं आये तेरे दीदार नु ,
माँ जगदम्बे शेरावालीऐ ,
अज खोल दे भरे भण्डार नु,
चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया...

तू है जनि जान भवानी ,
तेथो कोई गल लुकी नही,
मोह ममता दी अँख फङकदी, 
कोई जग विच सुखी नही,
कोई होर ना जिस दा ऐ अासरा, 
हुण कर दे बेङा पार तू,
माँ जगदम्बे शेरावालीऐ, 
अज खोल दे भरे भण्डार नु,
चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया....

तू दाती दया जिसदे कर दे,
उसदी ऊँची शान है सदा,
तेरी कृपा जिसदे होवे, 
उसदा है जग विच मान बडा,
मै मैया दास अनजान हाँ, 
सुनो माता जी मेरी पुकार नु, 
माँ जगदम्बे शेरावालीऐ, 
अज खोल दे भरे भण्डार नु,
चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया.....

रिश्ते नाते झूठे सारे,
देख लये अजमा के मै,
तेरे दर ते आण डिगा माँ, 
सब तों ठोकर खा के,
दिल दुखीया मेरा ऐहो चाहुंदा, 
छढ़ देवा मतलबी झूठे संसार नु,
चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया...


माँ तेरे बिन मुझ पापी नु दस हां कौन सम्बले गा,
बेअसरे नामाने  पूत नु माँ बिन कहदा पाले गा
तेरे चरणा विच ऐहो अरज है मैया, 
भुली ना चमन सेवादार नु, 
माँ जगदम्बे शेरावालीऐ, 
अज खोल दे भरे भण्डार नु,

चढ़ नीवीयां ऊचीया घाटीया 
असीं आये तेरे दीदार नु 
माँ जगदम्बे शेरावालीऐ 

अज खोल दे भरे भण्डार नु

Shayan Aarti at Shivala Bagh Bhaiyan in Amritsar

                                                        ॐ नमः शिवाये


शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥



*श्रीखण्ड़ कैलाश महादेव यात्रा-2017* ShriKhand Kailash Yatra 2017



.......🔱 *ऊँ नमः शिवाय* 🔱.......

*श्रीखण्ड़ कैलाश महादेव यात्रा-2017*
            *जिला कुल्लू*
          *हिमाचल प्रदेश*

पंच कैलाश यात्रा में सबसे कठिन यात्रा *श्रीखण्ड़ कैलाश महादेव* का स्थान सबसे ऊपर हैं। इसके बाद *श्री किन्नर कैलाश महादेव* जी हैं। दोनो ही यात्राएं वहाँ की सेवा समिति द्धारा ही संम्प्पण करवाई जाती हैं। जो बहुत थोड़े समय के लिए होती हैं।इनके समय-सारणी के बाद श्रृद्धालुओं को अपने प्रंबधन द्धारा ही तय करनी पड़ती हैं। उसमें आपको सेवा समिति और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती। अगर आप में भोलेनाथ के प्रति सच्ची आस्था, निष्ठा और मन में लगन हैं तब तो आप बडे आराम से यह यात्रा पूर्ण कर सकते हैं। अगर आप केवल घुमने-फिरने के इरादे से यहाँ पर आ रहे हैं तो कृपा कहीं और जगह चले जाए। क्योंकि  श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊचाई पर चढ़ना होता है और वहाँ बिगड़ता-संभलता मौसम का मिजाज और ऊपर से ऑक्सीजन की कमी भी खलती हैं।

*⛰श्रीखंड महादेव*
श्रीखण्ड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस चोटी पर भगवान शिव का वास है। इसके शिवलिंग की ऊंचाई 72 फीट है। यहां तक पहुंचने के लिए सुंदर घाटियों के बीच से एक ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग जहां खच्चरों का सहारा लेते हैं। वहीं, श्रीखण्ड महादेव की 35 किलोमीटर की इतनी कठिन चढ़ाई है, जिसपर कोई खच्चर घोड़ा नहीं चल ही नहीं सकता। श्रीखण्ड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमण्ड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।

*क्या है पौराणिक महत्व-* श्रीखंड की पौराणिकता मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भीअपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली। इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती कारूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
                                                                                                                                         
                                                                                                                                    
                                                                                                                      *विभिन्न स्थानों से दूरी*
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए शिमला जिला के रामपुर से कुल्लू जिला के निरमंड होकर बागीपुल और जाओं तक गाड़ियों और बसों में पहुंचना पड़ता है। जहां से आगे करीब तीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है।
शिमला से रामपुर – 130 किमी
रामपुर से निरमंड – 17 किलोमीटर
निरमंड से बागीपुल – 17 किलोमीटर
बागीपुल से जाओं – करीब 12 किलोमीटर हैं।

*कैसे पहुंचे श्रीखंड-*
आप रामपुर बुशहर(शिमला से 130 कि० मी०) से 35 कि० मी० की दूरी पर बागीपुल या अरसू सड़क मार्ग से पहुँच सकते है श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावोंमें माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। बागीपुल से 7 कि० मी० दूरी पर जाँव गाँव तक गाड़ी से पंहुचा जा सकता है जाँव से आगे की 25 किलोमीटर की सीधी चढाई पैदल यात्रा शुरू होती है।

यात्रा के तीन पड़ाव-
सिंहगाड़
थाचड़ू
और भीम डवार है

 जाओं से सिंहगाड़ 3 कि० मी० सिंहगाड़ से थाचड़ू 8 कि० मी० और थाचड़ू से भीम डवार 9 कि० मी० की दूरी पर है यात्रा के तीनो पडावो मे श्री खंड सेवा दल की ओर से यात्रियों की सेवा मे लंगर दिन रात चलाया जाता है भीम डवार से श्री खण्ड कैलाश दर्शन 7 कि० मी० की दूरी पर है तथा दर्शन उपरांत भीम डवार या थाचड़ू वापिस आना अनिवार्य होता है

यात्रा मे सिंहगाड, थाचरू, कालीकुंड, भीमडवारी, पार्वती बाग, नयनसरोवर व भीमबही आदि स्थान आते हैं। सिंहगाड यात्रा का बेस कैंप है। जहां से नाम दर्ज करने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी जाती है। श्रीखंडसेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए हर पडाव पर लंगर की व्यवस्था होती है।
*|| हर हर महादेव ||*
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श्री अमरनाथ जी यात्रा की जानकारी Amarnath Yatra Information in Hindi

ॐ नमः शिवाये 


अमरनाथ यात्रा का संयोजन, जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा हिन्दूओं के पाँचवे महीने श्रावण मास में किया जाता है। यह यात्रा हिंदू देव और सृष्टि के संहार, भगवान शिव के भक्तों द्वारा तै की जाती है। इस यात्रा में तीर्थयात्री कई कठिनाइयों का सामना करते हैं। यहाँ का खराब मौसम और पहलगाम से शुरु होती चढाई इस यात्रा को और भी कठिन बनाते हैं।

          

अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द “अमर” अर्थात “अनश्वर” और “नाथ” अर्थात “भगवान” को जोडने से बनता है। एक पौराणिक कथा अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व के रहस्य को प्रकट करने के लिए कहा, जो वे उनसे लंबे समय से छुपा रहे थे। तो, यह रहस्य बताने के लिए भगवान शिव, पार्वती को हिमालय की इस गुफा में ले गए, ताकि उनका यह रहस्य कोई भी ना सुन पाए, और यहीं भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया।


राम शब्द का अर्थ क्या है ?

 
राम शब्द का अर्थ है - रमंति इति रामः जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वह 
राम आखिर क्या हैं ?...

राम जीवन का मंत्र है। राम मृत्यु का मंत्र नहीं है। राम गति का नाम है, राम थमने, ठहरने का नाम नहीं है। सतत वितानीं राम सृष्टि की निरंतरता का नाम है।
राम, महाकाल के अधिष्ठाता, संहारक, महामृत्युंजयी शिवजी के आराध्य हैं। शिवजी काशी में मरते व्यक्ति को(मृत व्यक्ति को नहीं) राम नाम सुनाकर भवसागर से तार देते हैं। राम एक छोटा सा प्यारा शब्द है। यह महामंत्र - शब्द ठहराव व बिखराव, भ्रम और भटकाव तथा मद व मोह के समापन का नाम है। सर्वदा कल्याणकारी शिव के हृदयाकाश में सदा विराजित राम भारतीय लोक जीवन के कण-कण में रमे हैं। 
राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। भगवान विष्णु के अंशावतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम हिंदुओं के आराध्य ईश हैं। दरअसल, राम भारतीय लोक जीवन में सर्वत्र, सर्वदा एवं प्रवाहमान महाऊर्जा का नाम है।
वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेकानेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दाशरथि राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है।
कबीरदासजी ने कहा है - आत्मा और राम एक है - आतम राम अवर नहिं दूजा।
राम नाम कबीर का बीज मंत्र है। रामनाम को उन्होंने अजपा जप कहा है। यह एक चिकित्सा विज्ञान आधारित सत्य है कि हम २4 घंटों में लगभग २१६०० श्वास भीतर लेते हैं और २१६०० उच्छावास बाहर फेंकते हैं। इसका संकेत कबीरदासजी ने इस उक्ति में किया है - 
सहस्र इक्कीस छह सै धागा, निहचल नाकै पोवै।
मनुष्य २१६०० धागे नाक के सूक्ष्म द्वार में पिरोता रहता है। अर्थात प्रत्येक श्वास - प्रश्वास में वह राम का स्मरण करता रहता है।
दादूजी ने कहा है -
षट चक्र पवना फिरे, छः सहस्त्र एक बीस । 
योग अमर जम कूँ गीले, दादू बिसवा बीस ॥
राम शब्द का अर्थ है - रमंति इति रामः जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वही राम हैं इसी तरह कहा गया है - रमते योगितो यास्मिन स रामः अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं वही राम हैं। 
इसी तरह ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है - 
राम शब्दो विश्ववचनों, मश्वापीश्वर वाचकः
अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो, विशिष्ट तथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है।

                      ।।राम।।

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Shiv Bhajans


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