भगवान शिव योगेश्वर हैं। निरंतर समाधि में लीन रहते हैं, लेकिन सम्पूर्ण जगत का उन्हें ज्ञान रहता है। वह परम तपस्वी हैं, योगी हैं। उनकी पूजा-उपासना व आराधना प्रकृति व परमेश्वर की पूजा-आराधना है। ऐसा वेद-पुराणों में उल्लेख है कि भगवान शिव अपनी पूजा-उपासना से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसका तात्पर्य यह भी है कि पूजा-उपासना शुभ कर्म है जिसके माध्यम से हम स्थिर-एकाग्र होते हैं।
भगवान को शुभ कर्म अच्छे लगते हैं इसलिए पुरस्कार स्वरूप भगवान अपने भक्तों को अनुदान देते हैं कि वे अपने जीवन में निरंतर शुभ कर्म करते रहें। सावन महीने के पावन दिनों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के पीछे यही संदेश हम सबके लिए है कि यदि हम जीवन में शुभ कर्म करें तब ही हम कल्याणकारी शिव के प्रिय बन सकेंगे। इसके अतिरिक्त सावन के आरंभ से लेकर अंत तक करें ये पांच उपाय बढ़ेगी आयु और धन-
* भगवान शिव की पूजा और अभिषेक में बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बिल्वपत्र न तोड़ने के नियम के कारण बिल्वपत्र न होने पर नए बिल्वपत्रों की जगह पर पुराने बिल्वपत्रों को जल से पवित्र कर भगवान शिव पर चढ़ाया जा सकता है या इन तिथियों से पहले तोड़ा बिल्वपत्र चढ़ाएं।
* प्रतिदिन रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें अथवा शिव षडक्षरी मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का मन ही मन सारा महीना जाप करें।
* सुबह के समय पंचामृत (दूध, गंगाजल, शहद, दही और घी) से भगवान शिव का अभिषेक करें।
* स्फटिक का शिवलिंग घर में स्थापित कर नियमित रूप से उनका पूजन करें।
* शाम के समय मंदिर में तेल का दीया जलाएं। धूप-दीप जलाकर प्रेमपूर्वक शिव और मां पार्वती की आरती करें।
भगवान को शुभ कर्म अच्छे लगते हैं इसलिए पुरस्कार स्वरूप भगवान अपने भक्तों को अनुदान देते हैं कि वे अपने जीवन में निरंतर शुभ कर्म करते रहें। सावन महीने के पावन दिनों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के पीछे यही संदेश हम सबके लिए है कि यदि हम जीवन में शुभ कर्म करें तब ही हम कल्याणकारी शिव के प्रिय बन सकेंगे। इसके अतिरिक्त सावन के आरंभ से लेकर अंत तक करें ये पांच उपाय बढ़ेगी आयु और धन-
* भगवान शिव की पूजा और अभिषेक में बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बिल्वपत्र न तोड़ने के नियम के कारण बिल्वपत्र न होने पर नए बिल्वपत्रों की जगह पर पुराने बिल्वपत्रों को जल से पवित्र कर भगवान शिव पर चढ़ाया जा सकता है या इन तिथियों से पहले तोड़ा बिल्वपत्र चढ़ाएं।
* प्रतिदिन रुद्राष्टाध्याय
* सुबह के समय पंचामृत (दूध, गंगाजल, शहद, दही और घी) से भगवान शिव का अभिषेक करें।
* स्फटिक का शिवलिंग घर में स्थापित कर नियमित रूप से उनका पूजन करें।
* शाम के समय मंदिर में तेल का दीया जलाएं। धूप-दीप जलाकर प्रेमपूर्वक शिव और मां पार्वती की आरती करें।
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